बिग ब्रेकिंग- लाखो के कोविड इलाज के उपकरण सड़ रहे हैं खुले आसमान के नीचे। कॉंग्रेस पार्टी ने किया खुलासा।

by | Aug 4, 2021 | चमोली | 0 comments

क्या संसाधनों की ऐसी बर्बादी से लड़ी जायेगी कोरेाना से जंग – गरिमा महरा दसौनीउत्तराखण्ड । एक बड़ी खबर आपको बता दें कि राज्य के ओषधि भंडारण केंद्र में लाखों के कोविड उपचार के उपकरण खुले आसमान के नीचे खराब होने को लेकर कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता गरिमा महरा दसौनी औऱ दीप बोहरा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि लाखों के उपकरण चन्द्रनगर देहरादून में खुले आसमान के निचे सड़ रहे हैं औऱ राज्य सरकार सो रही है। आपको बता दें कि राज्य केन्द्रिय औषधीय भंडारण गृह चंदन नगर से सोशल मीडिया पर सीधा प्रसारण करते हुए कांग्रेस के दोनों प्रवक्ताओ नें भाजपा की करनी को उजागर करते हुए बताया कि करोड़ों की लागत के फ्रीज ईंजेक्षन दवांए आॅक्सीजन सिंलेडर इत्यादी भरी बरसात में सरकार की निश्क्रीयता निठल्लेपन और निकम्मेपन के चलते सड़नें को मजबूर हैं।दसौनी नें राज्य सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि इसे संवेदनहीनता की पराकाश्ठा ही कहा जा सकता है कि उत्तराखण्ड राज्य जिसनें दूसरी लहर में हजारों की संख्या में मौतें देखीं और उत्तराखण्ड का कोई परिवार एसा नहीं बचा जोकि राज्य सरकार की अव्यवस्थाओं का शिकार ना बना हो। ऐसे में आज संसाधनों की जिस स्तर पर बर्बादी भंडारण गृह में देखनें को मिलि वह अपनें आप में अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। दसौनी नें कहा की इसे विडंबना ही कहा जा सकता है की राज्य की जनता जहां एक ओर दवाई ईंजेक्षन आॅक्सीजन, वेंटीलेटर के लिए दर-दर भटकी हो और बहुत ही मंहगे दामों में स्वास्थ्य से जुड़े हुए इन उपकरणों को बाजार से खरीदनें के लिए मजबूर हुयी हो आज उसकी आंखों के सामनें लाखों करोड़ों की दवाई और फ्रीज सरकार की उदासीनता की वजह से बर्बाद हो रहे हैं।दसौनी नें बताया की चंदन नगर में 90 हजार की लागत वाले 150 फ्रीज खुली बरसात में जंक खा रहे हैं, वहीं हजारों की तादात में आॅक्सीजन सिलेडर काई और कीचड़ की भेंट चढ़े हुए हैं, वहीं दूसरी ओर छोटे आॅक्सीजन ंिसलेंडर्ज की पेटीयों दवाईयों की पेटीयां इजेंक्षन्स की पेटीयां भरी बरसात में सामान सहित सड़नें और गलनें के लिए प्रषासन द्वारा छोड़ दी गयी हैं।दसौनी नें कहा की पहले साढ़े चार साल तक उत्तराखण्ड की जनता स्वास्थ्य मंत्री से महरूम रही फिर प्रदेष की स्वास्थ्य व्यवस्था कोरोना जैसी आपदा के बावजूद नेतृत्व परिवर्तन की भेंट चढ़ गयी जिससे उत्तराखण्ड को भारी जान-माल का नुकसान हुआ उसके बाद भी यदी सरकार का स्वास्थ्य सेवाओं और संसाधनों के प्रति यह रवैया है तो फिर कोरोना की तीसरी लहर से आखिर जंग कैसे लड़ी जायेगी क्या एक बार फिर जनता को खुद के भरोसे छोड़नें का सरकार मन बना चुकी है।