बिग ब्रेकिंग –उत्तराखंड पीएमजीएसवाई में करोड़ो की ई टेंडरिंग में घपला??

by | Oct 2, 2023 | उत्तराखण्ड, देहरादून | 0 comments

पीएमजीएसवाई के कामों के करोड़ो रुपयों की ई टेंडरिंग में गड़बड़ियों को लेकर बड़ा खुलासा।

धामी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति पर बट्टा लगाते अधिकारीयों पर कब होगी कार्यवाही?

उत्तराखंड में घपले घोटालों का इतिहास बड़ा पुराना है। आज हम करोड़ो रुपयों के टेंडर में हो रही धांधली को लेकर उठ रहे सवालों पर बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं।
एक ऐसा खुलासा जिसे सुनकर आप भी चौंक जाएंगे और इस बात मुहर लगाएंगे कि जीरो टॉलरेंस सिर्फ भाषणों तक ही सीमित है ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भले ही अधिकारियों के पेंच कसने के दावे कर रहे हों पर अधिकारी दांव पेंच में उत्तराखंड के सभी नेताओं से आगे ही हैं।
ये खबर प्रधानमंत्री मोदी तक जानी चाहिए ताकि उत्तराखंड में चल रहे इस खेल का खुलासा हो सके।। सूत्र बताते हैं कि कंपनियों को टेंडर दिलवाने के नाम पर अधिकारियों द्वारा खूब मोटा माल अंदर किया गया है। यदि इन अधिकारियों की संपत्ति की जांच हो तो करोड़ो की अवैध संपत्तियो का खुलासा भी होगा।

पीएमजीएसवाई विभाग चर्चाओं में है। यहां करोड़ो रुपयों के ई टेंडरिंग पर भी सवाल उठने लगे हैं। ई टेंडरिंग में इतनी बड़ी गलतियां मानवीय भूल से हो रही हैं या जानबूझकर कुछ कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ये खेल खेला जा रहा है इसको लेकर pmgsy सवालो के घेरे में आ गया है और इस मामले में कुछ लोग हाईकोर्ट का रुख कर चुके हैं और कुछ इसमें सीबीआई जांच की मांग कर रहे है ।

आपको बता दें कि भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड के पहाड़ों की सड़को के निर्माण और पेंटिंग के लिए पीएमजीएसवाई को 1090 किलोमीटर लंबी 104 सड़को के लिए 856.84 करोड़ रुपए स्वीकृत हुए हैं। इस स्वीकृति में अल्मोड़ा और बागेश्वर की 4-4, चमोली की 18 सड़कें, देहरादून की 5, हरिद्वार की 11, नैनीताल की 5, पौड़ी की 35, रुद्रप्रयाग की 4, टिहरी की 15 और उत्तरकाशी की 3 सड़कों का सुधारीकरण किया जाएगा।
इन करोड़ो रुपयों के काम में अपनी चहेती कंपनियों को टेंडर दिलवाने के लिए ई टेंडरिंग जैसी प्रक्रिया में भी छेड़छाड़ की संभावनाएं जताई जा रही है ।
आपको बता दें कि 28 सितंबर को पौड़ी जिले की बौंसाल कलजीखाल पैकेज संख्या UT08-526 की 34 किलोमीटर मोटरमार्ग की टेक्निकल बीड खोली गई जिसमे 6 कंपनियों ने आवेदन किया था। जिसमे अमित जोशी, चौहान एसोसिएट, केवीएम इंफ्रा बिल्ड, मिलेनियम बिल्डर्स,उमा शंकर सिंह रावत (जेबी) और आरएसएम इंफ्रा प्रोजक्ट नाम की कंपनियों ने आवेदन किया था। इसमें मिलेनियम बिल्डर्स और उमाशंकर सिंह रावत नाम की कंपनियां टेक्निकल बिड में क्वालीफाई करवाई गई और अन्य चार कंपनियों को डिस क्वालीफाई दर्शाया गया।

हैरानी की बात है कि इसमें मिलेनियम बिल्डर्स नाम की कंपनी का टर्न ओवर उत्तराखंड पीएमजीएसवाई की वेबसाइट पर 28 सितंबर को सुबह 11 बजकर 52 मिनट पर 1402.73 लाख दर्शा रहा है वहीं शाम 5 बजकर 30 मिनट पर इसी कंपनी का टर्न ओवर बढ़कर 1982.91 लाख हो गया । आपको बता दें कि कंपनियों को क्वालीफाई करने के लिए न्यूनतम 1977.36 लाख का टर्न ओवर आवश्यक है।
अब जब सवाल उठने लगे तो शाम होते होते पीएमजीएसवाई द्वारा एक शुद्धि पत्र शाम को साइट पर प्रकाशित किया गया जिसपर भी सवाल उठ रहे हैं। विभाग द्वारा लिखा गया कि मिलेनियम कंपनी का टर्न ओवर सही नही पाया गया है और इसके बाबजूद इस कंपनी को फाइनेसियल बिड के लिए क्वालीफाई करवा लिया गया।


जब हमने pmgsy के चीफ आरपी सिंह से इसबारे में सवाल पूछा तो एक चुप्पी के बाद उन्होंने गोलमोल जवाब देकर पल्ला झाड़ लिया।

तो सुना आपने आरपी सिंह का जवाब है कि पांच वर्षो में से किसी भी वर्ष का टर्न ओवर कंपनी दिखा सकती है । लेकिन जब हमने गड़बड़ियों की पड़ताल की तो पाया कि ने जब गलत टर्न ओवर भरा था तो उसके बावजूद उसे क्यों क्वालीफाई माना गया? और फाइनेंशियल बीड़ के लिए बुलाया गया।

अब एक खास जानकारी और दे दें कि इन्ही छह कंपनियों में से कुछ कंपनियों द्वारा अन्य पैकेज के लिए भी निविदा डाली थी और यही अभिलेख संलग्न किए थे जिन्हे वहां स्वीकार कर लिया गया और अब इस टेंडर में तकनीकी बिड में इन्ही अभिलेखों को गलत बताकर कंपनियों को रिजेक्ट कर दिया गया। ऐसे में इस ई टेंडरिंग प्रक्रिया पर ही सवाल उठ रहे हैं। दूसरा बड़ा सवाल ये भी है कि ई टेंडरिंग में कैसे कम्पनी को फायदा पहुंचाने के लिए उसका टर्न ओवर ज्यादा दिखाकर उसकी निविदा स्वीकार की जा रही है?

अब इस निर्माणकार्य के लिए 5 अक्टूबर को वित्तीय निविदा खोली जाएगी जिसका जिक्र विभाग ने अपने पोर्टल पर किया है। इस पूरी प्रक्रिया पर ही अब बड़े सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ई टेंडरिंग में भी कैसे बड़ा खेल खेला जा रहा है। वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि विभाग द्वारा बड़ी ही चालाकी से ज्यादातर कामों में फाइनेशियल बिड तक सिर्फ दो ही कंपनियों को पहुंचाया गया है जिससे कंपनियों के बीच रेट को लेकर भी प्रतिस्पर्धा कम हो गई है जिससे सीधे सीधे सरकारी धन का नुकसान भी है।

अब इस मामले में कई ऐसी कंपनियों ने हाईकोर्ट का रुख कर लिया है जो कागजी कार्यवाही में सही थी लेकिन बाबजूद इनके उन्हे बाहर कर दिया गया। इन कम्पनीयों से जुड़े लोगो का कहना है कि इस मामले में पूरी जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई लोगो के सामने आ सके।
कुछ ही समय पहले विभाग के अध्यक्ष आरपी सिंह को लेकर विधानसभा सत्र के दौरान भी विधायक प्रीतम सिंह ने सवाल उठाया था वहीं मीडिया में करोड़ो रुपयों के इन कामों को लेकर तत्कालीन सचिव राजेश कुमार ने विभाग पर छापा भी मारा था ।

कुलमिलाकर केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड के पहाड़ों की सड़को की दशा और दिशा ठीक करने के उद्देश्य से जारी हुए करोड़ो रुपए के इन कामों के टेंडर पर ही जब सवाल उठ रहे हैं तो इन सड़कों का अंजाम क्या होगा ये आप खुद बता सकते हैं।