बिग ब्रेकिंग –अतिक्रमण के लाल निशान से जनता परेशान। क्या रास्ता निकाल सकती है सरकार? पढ़िए ये खास रिपोर्ट।

by | Sep 2, 2023 | अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, उत्तराखण्ड, ऋषिकेश, केदारनाथ, चमोली, टिहरी, देहरादून, नैनीताल, पिथौरागढ़, पौड़ी, बागेश्वर, मसूरी, यूएस नगर, रुड़की, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर गढ़वाल, हरिद्वार | 0 comments

उत्तराखंड। आजकल हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद पूरे प्रदेश के स्टेट हाइवे, नेशनल हाइवे और वन क्षेत्रों में हुए अतिक्रमण को लेकर कार्यवाही की जा रही है ।

आपको बता दें कि मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। दिल्ली निवासी प्रभात गांधी द्वारा नैनीताल जिले में खुटानी मोड़ से लेकर पदमपुरी तक अतिक्रमण के कारण राजमार्ग की खराब स्थिति के संबंध में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को लिखे एक पत्र का स्वत: संज्ञान लेते हुए पीठ ने यह आदेश जारी किया है. पत्र में कहा गया है कि खुटानी और पदमपुरी में राजमार्ग के साथ सरकारी और वन भूमि पर अतिक्रमण कर वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, दुकानें और यहां तक कि मंदिर भी बना दिए गए हैं

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अदालत ने जिलाधिकारियों और वन अधिकारियों को ना केवल सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने बल्कि उसकी सही तरीके से जांच करने को भी कहा है. अदालत ने चार सप्ताह के अंदर उनसे अपनी अनुपालन रिपोर्ट भी दाखिल करने के लिए कहा है. मामले में सुनवाई की अगली तारीख पांच सितंबर तय की गयी है. उच्च न्यायालय का आदेश आने से पहले ही जिला प्रशासन ने विभिन्न स्थानों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है.

अब इस अतिक्रमण की कार्यवाही का विरोध भी विभिन्न स्थानों पर शुरू हो गया है। स्थानीय लोगो का कहना है कि इससे उनके रोजगार प्रभावित हो रहे हैं । आपको बता दें कि इन स्थानों पर वर्षो से लोग दुकानें चला रहे हैं वहीं स्टेट हाइवे में स्थानीय लोगो के मकान सड़को के किनारे या तो सड़क आने से पहले से ही भवन बने थे या कुछ बाद में बने।

अतिक्रमण की जद में आए लोग गाहे बगाहे इस बात की भी चर्चा कर रहे हैं कि बड़े रिजॉर्ट और ऋषिकेश हरिद्वार में गंगा किनारे बने भवनों पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है सिर्फ ठेली खोके और छोटी मोटी दुकानें चलाने वालो पर ही प्रशासन कार्यवाही कर रहा है।

वहीं अब इस मुद्दे को लेकर अध्यादेश लाने की मांग भी उठ रही है। आपको बता दें कि वर्ष 2018 में झुग्गी झोपड़ियों और मलिन बस्तियों को हटाने को लेकर भी हाईकोर्ट ने एक ऐसा ही आदेश दिया था जिसपर बाद में सरकार ने अध्यादेश लाकर 2021 तक तीन साल का समय इनको हटाने को लेकर दिया था जोकि बढ़ाकर अब 2024 कर दिया गया है। वर्तमान में अतिक्रमण की जद में आए लोग भी चाहते हैं कि उन्हें भी मोहलत दी जाय ।

आपको बता दें कि जो भी इस अतिक्रमण की चपेट में आ रहा है वो सीधे भाजपा को घेरते हुए निकाय और लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने की बात कहता हुआ नजर आ रहा है।
वहीं दूसरी तरफ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने हाल ही में बयान दिया कि अतिक्रमण को लेकर किसी के साथ अन्याय नही होगा ।

अब ऐसे में फिलहाल सरकार के पास अध्यादेश लाने का रास्ता बचा हुआ है ताकि फौरी तौर पर ही सही जनता को राहत दी जाय। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि कस्बों और शहरों पर जनसंख्या का दवाब बढ़ता जा रहा है। अनियंत्रित रूप से बढ़ती भवनों की संख्या बड़ा खतरा पैदा कर सकती है ऐसे में कई बार विभाग के साथ सांठगांठ करके भी लोग अतिक्रमण कर रहे हैं जिसे हटाना भी बेहद जरूरी है ।