संस्कृत शिक्षा निदेशालय में फर्जी तरीके से बने प्रशासनिक अधिकारी को प्रशासन ने हटाया
आखिर कब होगी ऐसे अधिकारीयों पर बड़ी कार्यवाही?
उत्तराखंड. मामला संस्कृत शिक्षा निदेशालय के एक प्रशासनिक अधिकारी से जुडा है. जिनके ऊपर कई गंभीर मामलों की जाँच चल रही थी जिस जाँच की कार्यवाही के बाद संबंधित प्रशासनिक अधिकारी को अपने मूल स्थान पर भेज दिया गया है. आरोप हैं कि अधिकारी के प्रमोशन से लेकर समायोजन तक़ में बड़ा खेल खेला गया.
देहरादून के संस्कृत शिक्षा निदेशालय में तैनात खिलाफ सिंह पिमोली पर लगे आरोपो पर जाँच चल रही थी. सूचना के अधिकार के अंतर्गत व शिकायतकर्ता के तौर पर सुरेश त्यागी सूड्डोवाला प्रेमनगर देहरादून, कैलाश उनियाल ग्राम व पोस्ट पुरसाड़ी व अन्य द्वारा शासन में शिकायत की गई थी कि खिलाफ सिंह पिमोली की नियुक्ति अवैध तरीके से हुई है जिसमे नियम की धज्जियाँ तो उड़ाई ही गई वहीं इसमें मोटा खेल भी हुआ है.
अब इस मामले में पूरी जाँच के बाद सचिव संस्कृत शिक्षा आइएएस चंद्रेश यादव ने एक आदेश जारी किया है जिसमें जाँच बिंदुओं में पाया गया कि बिना विज्ञप्ति, बिना आवेदन और बिना चयन कमेटी के ही खिलाफ सिंह पिमोली को वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के पद पर समायोजित कर दिया गया जोकि नियमों के विरुद्ध पाया गया. जिसपर अब खिलाफ सिंह को मूल पद पर भेज दिया गया है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इतने गंभीर मामले में आखिर खिलाफ सिंह पिमोली के खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही क्यूँ नही हुई? क्या मूल पद पर भेजने से प्रशासन ने इतिश्री कर ली है? आखिर बड़ा सवाल तो ये भी है कि नियुक्तियों में ही भ्र्ष्टाचार के मामले पर इनके खिलाफ दफा 420 और सरकारी सेवा नियमावली के अंतर्गत मुकदमा दर्ज क्यूँ नही किया गया क्यूँकि इस मामले में सतर्कता विभाग़ से लेकर पीएमओ तक़ के पतत्राचार बता रहे हैँ कि मामला गंभीर है. सरकारी सेवा नियमावली की धज्जियाँ उड़ाकर एक अधिकारी अवैध तरीके से प्रमोट होता है बाबजूद इसके अभी तक़ कोई भी गंभीर कार्यवाही इनके खिलाफ नही हो रही है.ऐसे में अंदेशा लगाया जा रहा है कि कहीं इस मामले में फिर से कोई खेल तो नही चल रहा है. अब देखना यह होगा कि आखिर ऐसे अधिकारीयों के खिलाफ जीरो टोलरेंस की सरकार क्या एक्शन लेती है.