
अजब गजब – चार दशक के बाद भी कर्णप्रयाग नगर निकाय अध्यक्ष पद आरक्षित नही??
जिला निर्वाचन सवालों के घेरे में.
चमोली जिले की कर्णप्रयाग ही एक ऐसा नगर निकाय है जहाँ 43 वर्षों बाद भी आज तक अध्यक्ष पद आरक्षित नही हो पाया है. आपको बता दें कि 1979 में नगर पंचायत के रूप में अस्तित्व में आई इस सीट पर आजकल चर्चाएं बनी हुई हैँ कि आखिर वो क्या कारण रहे कि यहॉं अध्यक्ष पद आरक्षित नही हुआ.
आपको बता दें कि जानकारों से कई चौकाने वाली जानकारीयाँ भी मिली हैँ जिनके मुताबिक इस नगर निकाय में 40 प्रतिशत आबादी आरक्षित वर्ग की है बाबजूद इसके आजतक सीट रिजर्व नही हो पाई है.
आपको बता दें कि कर्णप्रयाग के नजदीक की सीट गौचर आजतक तीन बाऱ आरक्षित हो गई है वहीं चमोली जिले के अन्य नगर निकाय में भी आरक्षण का रोटेशन लागू हो चुका है मगर कर्णप्रयाग सीट पर निवार्चन आयोग का रोटेशन लागू नही होता.
राजनितिक जानकार बताते हैँ कि कर्णप्रयाग नगर निकाय सीट हमेशा ही सामान्य रहीं है क्यूँकि इसमें स्थानीय विधायको व नेताओं का सीधा हस्तक्षेप रहा है उन्होंने मजबूत पकड़ के चलते इस सीट को आरक्षित होने नही दिया है.
ऐसे में अब सवाल जिला निर्वाचन पर उठने शुरू हो गये हैँ कि आखिर 43 वर्षों बाद भी एक ऐसी सीट आरक्षित नही की गई जहाँ 40 प्रतिशत आबादी आरक्षित वर्ग से है.
अब 2023 में होने जा रहे नगर निकाय चुनावों के मद्देनजर इस सीट पर आरक्षण को लेकर बहस तेज हो गई है. सूत्रों के मुताबिक कुछ लोग आरक्षण रोटेशन को लेकर हाईकोर्ट जाने की भी तैयारी क़र रहे हैँ. अब देखना यह होगा कि क्या 43 वर्षो बाद इस सीट पर आरक्षण लागू हो पायेगा??