उत्तराखण्ड। एक बड़ी खबर आपको बता दें कि एक तरफ क़ई विभागों में नियमित पद निकल रहे हैं वहीं इन्ही पदों पर कार्यरत संविदा कर्मियों का आरोप है कि इसमे उनकी अनदेखी हो रही है। आपको बता दें कि उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल सोशल वर्कर (सोशल वर्कर/साइकेट्री वर्कर) के रिक्त 38 पदों पर नियमित भर्ती हेतु उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा चयन बोर्ड के माध्यम से 27 सितंबर 2021 को विज्ञापन जारी किया गया है , जिसमें शैक्षिक योग्यता MSW रखा गया है । संविदा कर्मचारियों का आरोप है कि इस विज्ञप्ति के हैरान करने वाली बात यह है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में इन्ही पदों पर विभागीय संविदा और आउटसोर्सिंग के माध्यम से बहुत सारे कर्मचारी कई सालों से कार्यरत हैं जब इन संविदा कर्मचारियों का चयन किया गया था उस समय भी राज्यपाल महोदय द्वार स्वीकृति शासनादेश जारी किया गया था जिसमे इन पदों हेतु योग्यता तय की गई थी जिसमे MSW/M A SOCIOLOGY और M A PSYCHOLOGY को सम्मिलित किया गया था जबकि अब नियमित भर्ती के लिए सिर्फ MSW को ही मान्यता दी गई है ऐसे में जो लोग M A सोशियोलॉजी ओर M A PSYCHOLOGY से चयनित होकर कई सालों से विभाग में संविदा और आउटसोर्सिंग से कार्य कर रहे हैं उनको आवेदन करने से भी बंचित रखा जा रहा है और नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने की साजिश है। पहले तो विभाग को इन कर्मचारियों को जो कि इतने लंबे समय से विभाग को अपनी सेवाएं दे रहे हैं उनको पहले विभाग में समजोजित करना चाहिए था उसके बाद जो रिक्त पद रह जाते उनको भरना चाहिए था । परंतु ऐसा करने के बजाय इनको आवेदन से ही बंचित रखकर बाहर का रास्ता दुखने की तैयारी की जा रही है । एक ही पद पर चयन के लिए दो अलग अलग योग्यता कैसे निर्धारित की जा सकती है ये आधिकारिक स्तर पर बहुत बड़ी लापरवाही है और बेरोजगार युवाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा किया जा रहा है । इससे पता नही चल रहा है कि कौन सा आदेश सही है को से गलत । अगर PSYCHIATRIC SOCIAL WORKER के पद पर चयन किया जाना है तो M A PSYCHOLOGY को तो अनिवार्य रूप में सम्मिलित किया जाना चाहिए।