पौडी एसडीएम प्रकरण की असली हकीकत
आजकल आप लोग पौडी एसडीएम आकाश जोशी औऱ एक कॉंग्रेस नेता के बीच हुई नोकझोंक का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब देख रहे होंगे।
इस वीडियो को देखने के बाद लोग एसडीएम को खलनायक की भूमिका में देखने लगे। दरअसल हम लोग कभी कभी किसी विषय का एक ही पक्ष देखकर उसके निर्णय पर पहुंच जाते हैं। इस पूरे प्रकरण में भी कुछ ऐसा ही हुआ है।
आप लोग खुद सोचिए अगर आप किसी काम मे लगातार जुटे हुए हैं औऱ कोई व्यक्ति आकर आपके ऊपर कभी टिका टिप्पणी करे कभी आपके काम मे व्यवधान डाले कभी आपको उकसाने का काम करे तो आप क्या करेंगे??
अब ये मत कहिएगा कि वो एसडीएम हैं उनको गुस्सा नही आना चाहिए था आपको बता दें कि वो एसडीएम बाद में हैं पहले एक इंशान हैं । जब कोई आपको बार बार टारगेट करे , आपके खिलाफ अर्नगल टिका टिप्पणी करे आपके काम मे बाधा डाले तो गुस्सा आना स्वभाविक है।
आपको बता दें कि अग्निवीर भर्ती के लिए युवाओं के प्रमाणपत्र बनाने के लिए एसडीएम आकाश जोशी अपने घर पर चोटिल बच्चे को छोड़कर सुबह से रात तक जुटे हुए थे कि अचानक एक नेता अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए आ धमकता है और बार बार टारगेट करते हुए व्यवधान करता है तो एसडीएम का गुस्सा भी लाजमी था ।।
आपको ये भी बता दें कि आकाश जोशी पीसीएस परीक्षा के टॉपर भी हैं वहीं उत्तराखंड के ही रहने वाले हैं उनके अंदर भी ये पीड़ा थी कि कोई भी युवा का अग्निवीर के प्रमाणपत्रों से वंचित न रह जाय इसलिए वो दिनरात एक करके काम मे जुटे थे कि अचानक नेता जी की एंट्री औऱ एकतरफा वीडियो से नेताजी रातोरात हीरो बन गए और उत्तराखंड मूल का टॉपर रहा अधिकारी खलनायक बन गया।
अब इस विषय पर जमकर राजनीति होगी । एसडीएम को सस्पेंड करने के नारे लगेंगे लेकिन इस पूरे प्रकरण से एक होनहार अधिकारी का मनोबल टूट जाएगा। जिस शिद्दत से वो दिन रात एक करके काम कर रहा था अब वो ऐसी नेतागिरी से हतोत्साहित हो जाएगा।
इसलिए किसी भी विषय का एक ही पक्ष देखने की बजाय उसका दूसरा पक्ष भी देखा जाना जरूरी है। हम एसडीएम की तरफदारी नही कर रहे हम ये भी नही कह रहे कि एसडीएम का भड़कना सही था लेकिन इतना जरूर कह रहे हैं कि हर विषय बिंदु के दोनों पक्ष देखे जाने चाहिए।